शुक्रवार, 2 जनवरी 2009

फ़साना-ए-शबे-ग़म उन को एक कहानी थी




परिंदों के परों में क्या है- परवाज़ और क्या !
सन्नाटा अब कैसे टूटेगा -आवाज और क्या !

नए बरस की पहली पोस्ट के रूप में पेश है अपनी पसंदीदा अलबम 'सुनहरे वरक़' से यह ग़ज़ल-

ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया.
तमाम रात क़यामत का इन्तज़ार किया।

हँसा -हँसा के शबे-वस्ल अश्क-बार किया,
तसल्लियाँ मुझे दे-दे के बेकरार किया।

हम ऐसे मह्वे-नजारा न थे जो होश आता,
मगर तुम्हारे तग़ाफ़ुल ने होशियार किया।

फ़साना-ए-शबे-ग़म उन को एक कहानी थी,
कुछ ऐतबार किया कुछ ना-ऐतबार किया।




शब्द : दाग़ देहलवी
संगीत : खय्याम
स्वर : कविता कॄष्णमूर्ति
( चित्र : लावण्या शाह के ब्लाग से ' लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`' साभार)

8 टिप्‍पणियां:

ललितमोहन त्रिवेदी ने कहा…

नववर्ष का आगाज़ बहुत खूबसूरत है !पूरे वर्ष इसी तरह निहाल करते रहेंगे ,इसी प्रत्याशा में ........

अजित वडनेरकर ने कहा…

सुरीला आग़ाज़ है हुजूर....शुक्रिया इस रेशमी आवाज़ के लिए...मखमली अल्फाज़ के लिए

सुशील छौक्कर ने कहा…

वाह बहुत खूब। नए साल की शुरुआत सुरीली।

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

khoobsoorat geet ka dhanyavaad aur naye varsh ki shubhkamanae.n

Manish Kumar ने कहा…

pata nahin aapka player aaj kyun nahin dikh raha. ghazal to ye khair jani mani hai hee.

एस. बी. सिंह ने कहा…

हम ऐसे मह्वे-नजारा न थे जो होश आता,
मगर तुम्हारे तग़ाफ़ुल ने होशियार किया।

भाई तग़ाफ़ुल ही सही होश में तो आए.... हम तो अब तक बेहोश हैं। उम्दा ग़ज़ल ।

Jimmy ने कहा…

bouth he aacha post kiyaa hai aappne yaar keep it up

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Alpana Verma ने कहा…

bahut hi khubsurat ghazal -pahli baar suni .
nav varsh ki shubhkamnayen..